उत्तराखण्ड के प्रतिभाशाली लोगों को उनके मुकाम तक पहुंचाना हमारी संस्था का लक्ष्यः सरिता कठैत

देहरादून। समाज सेविका सरिता कठैत ने कहा कि उत्तराखण्ड हमारी पहचान संस्था का गठन करने का हमारा एक ही मकसद है कि हम उत्तराखण्ड के उन सभी प्रतिभाशाली लोगों को उनके मुकाम तक पहुंचा सकें। हमारी टीम में मुख्यतः चार लोगों की भूमिका है। जिसमें मैं सरिता कठैत, मनोज रावत, भूपेन्द्र सिंह नेगी और हेमराज सिंह बिष्ट शामिल हैं। मैं दिल्ली में रहती हूँ और मनोज रावत और हेमराज जर्मन में और भूपेन्द्र सिंह नेगी कुवैत में कार्यरत हैं। उत्तराखण्ड हमारी पहचान के जरिये मेरे तीनों भाइयों ने यह निर्णय लिया कि जिस प्रकार हम लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए अपना प्रदेश छोड़कर विदेशों में गये हैं तो उस प्रकार हमारे उत्तराखण्ड से किसी और को इस प्रकार अपनी प्रतिभा को छिपाकर विदेश न जाना पड़े और उत्तराखण्ड की संस्कृति और सभ्यता के प्रति हम सभी का बहुत लगाव है और हम लोग चाहते हैं कि हम लोग जहां पर भी हैं वहां पर रह कर अपने उत्तराखण्ड और उत्तराखण्डियों के लिए कुछ करें हमारा मकसद एक ही है कि उत्तराखण्ड के हमारे जितने भी लोग प्रतिभाशाली लोग हैं उनको उत्तराखण्ड हमारी पहचान से एक मौका दिया जाय चाहे वह संगीत में हो नृत्य में हो या लेखन में हो। उन सभी प्रतिभाशाली लोगों के लिए है जो किसी न किसी कारण से पीछे रह गये चाहे वह धन के आभाव से हो या फिर किसी और कारण से हो। हमारा मकसद एक सच्चे उत्तराखण्डी कलाकर की खोज है।
यहां आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड हमारी पहचान का गठन ही उन प्रतिभाशाली लोगों के लिए है जिनको आज तक कोई मंच या पहचान नहीं मिली। मेरा भी एक बहुत बड़ा मकसद है कि हमारी जो भी महिलाएं अपनी प्रतिभा दिखाने में या घर से बाहर निकलने के लिए बहुत सोचती हैं और समाज क्या कहेगा के डर से अपनी इच्छाओं को दबाती हैं या फिर उनको ये डर रहता है कि समाज और रिश्तेदार क्या कहेंगे तो मैं उन सब महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा हेतु सदैव उनके साथ खड़ी हूँ हमारे उद्देश्य भी यही है कि जब कोई महिला हमारे साथ काम करे तो वो अपने आप को सुरक्षित समझे और हम उनकी सुरक्षा की गारंटी भी लेते हैं। अभी तक हमने जिन भी कलाकारों को काम दिया है वो सब हमसे जुड़कर बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि वे पिछले कई वर्षों से समाज हित के लिये कार्य कर रही हैं। वे उत्तराखण्ड की कई सामाजिक, सांस्कृकि संस्थाओं से जुड़कर भी कार्य कर रही हैं।