गीतकार शिवमोहन सिंह के व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तक का विमोचन

देहरादून। उद्गार साहित्यिक एवं सामाजिक मंच देहरादून के तत्वावधान में  सुप्रसिद्ध गीतकार शिवमोहन सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित पुस्तक ’लोकमंगल का गीत सर्जक-शिवमोहन सिंह’ का विमोचन हिंदी भवन देहरादून में  किया गया। इस ग्रंथ का संपादन वरिष्ठ साहित्यकार असीम शुक्ल ने किया है। कार्यक्रम  हिंदी-संस्कृत की विदुषी डॉक्टर सुधारानी पांडे पूर्व कुलपति की अध्यक्षता में तथा उद्गार संस्था के सचिव पवन शर्मा के कुशल संचालन में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में अनिल रतूड़ी वरिष्ठ साहित्यकार तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं वर्तमान आयुक्त सेवा का अधिकार आयोग उत्तराखंड तथा अति विशिष्ट अतिथि के रूप में राधा रतूड़ी मुख्य सूचना आयुक्त उत्तराखंड तथा पद्मश्री डॉ॰ बी.के.एस. संजय वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रख्यात ऑर्थाेपीडिक सर्जन एवं प्रोफेसर डॉ॰ राम विनय सिंह जी अध्यक्ष हिंदी साहित्य समिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। पुस्तक के संपादक वरिष्ठ साहित्यकार असीम शुक्ल का विशेष सान्निध्य रहा। अतिथि गण द्वारा दीप प्रज्वलन तथा कवयित्री महिमा श्री द्वारा सरस्वती वंदना के साथ लोकार्पण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
उद्गार संस्था के सचिव पवन शर्मा के प्रारंभिक वक्तव्य के बाद असीम शुक्ल ने अपने संपादकीय उद्बोधन में कहा कि जितने भी विद्वानों ने शिवमोहन जी के गीत संग्रहों की अपनी वैचारिकता से विवेचना की है उन्होंने गीत के विविध पक्षों, आयामों और काव्य के लक्षणों की कसौटी पर गीत के धर्म पक्ष को दृढ़ता प्रदान की है। तन्मे मनरूशिव संकल्पमस्तु से संकल्पित शिव सरीखे शिवमोहन जी की कविताएँ सामाजिक संदर्भों में बड़ी प्रासंगिक हैं। वह समाज के अनछुए प्रसंगों को अपनी कल्पना के उड़ान से बहुत दूर तक ले जाने में समर्थ हैं। यह अभिनंदन ग्रंथ हिंदी के प्रबुद्ध पाठकों तथा शोधार्थियों के लिए निश्चित रूप से उपयोगी सिद्ध होगा।
मुख्य अतिथि अनिल रतूड़ी ने कहा कि  शिवमोहन सिंह ज्ञानी और प्रतिभाशाली साहित्यकार हैं। जिनकी कविताएँ सामाजिक संदर्भों में प्रासंगिक हैं। यह पुस्तक पाठकों के लिए अवश्य उपयोगी सिद्ध होगी। राधा रतूड़ी ने कहा कि शिवमोहन जी निरंतर अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को एक सकारात्मक संदेश दे रहे हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। पद्मश्री डॉक्टर बी. के. एस. संजय ने कहा कि शिव मोहन जी जैसे प्रतिभाशाली साहित्यकार के विषय में लिखा जाना स्वाभाविक और आवश्यक भी है। विद्वान लेखकों समीक्षकों के विचारों से परिपूर्ण आलेखों का संकलन एवं संरक्षण किया जाना एक सराहनीय कार्य है। प्रोफेसर डॉ राम विनय सिंह ने कहा कि शिव मोहन सिंह का रचना धर्म अत्यंत संयत, सुव्यवस्थित और सतत् उत्कर्षाभिमुख है। निस्संदेह आपने अपनी रचनाशीलता से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है और नई पीढ़ी को चिंतन के लिए अभिनव मार्ग दिए हैं। अनेक युवा रचनाकार आपके द्वारा प्रशस्त पथ पर अपने सृजन को गति दे रहे हैं।
डॉ सुधारानी पांडे ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शिवमोहन सिंह घर परिवार समाज और राष्ट्र के साथ जीवन धर्म निर्वाह करते हुए वसुधैव कुटुंबकम की युक्ति को भी सार्थक करने में सफल रहे हैं। नई आशाओं संवेदनाओं संभावनाओं के स्वरों का संधान करने वाले शिवमोहन सिंह नई सदी के कृती साधक शिवमोहन सिंह की साहित्य साधना अविराम गतिमान रहे। आपने अपनी शुभकामनाओं से शिवमोहन सिंह को आशीर्वाद प्रदान किया। शिव मोहन सिंह ने कहा कि जिन विद्वानों ने अपना बहुमूल्य समय निकालकर मेरी पुस्तकों को पढ़ा और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है उनका मैं  हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। उनके शब्द मेरे लिए मूल्यवान हैं। यशस्वी संपादक असीम शुक्ल तथा उद्गार साहित्यिक एवं सामाजिक मंच के सचिव पवन शर्मा के प्रति भी हार्दिक आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में देहरादून शहर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राकेश बलूनी डॉ विद्या सिंह, डॉ॰ मुनीराम सकलानी, के डी शर्मा , हलधर, श्रीकांत, डॉ उषा झा रेणु, महेश्वरी कनेरी, डॉली डबराल, डॉ॰ क्षमा कौशिक, दर्द गढ़वाली, डॉ सोमेश्वर पांडे,डॉ॰ नीता कुकरेती, हेमवती नंदन कुकरेती, करुणा अथैया, अर्चना झा सरित, शादाब अली,डॉ॰ राजीव पाण्डेय, पवन कुमार सूरज, आनंद सिंह आनंदश् वरिष्ठ पत्रकार गोपाल सिंघल सहित वरिष्ठ साहित्यकार तथा गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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