आईआईटी रुड़की ने जल-आधारित प्रिटिंग इंक टेक्नोलाॅजी का लाइसेंस प्रदान किया

रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) और एफ्लाटस ग्रेवर प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा के शोधकर्ताओं ने फ्लेक्सिबल प्रिंटिंग की नई टेक्नोलाॅजी विकसित की है जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। संस्थान ने एक प्रतिष्ठित पैकेजिंग कंपनी को दो टेक्नोलाॅजी हस्तांतरित की है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के. के. पंत और कथित कंपनी के अधिकारियों और अनुसंधान टीम के अन्य सदस्यों की उपस्थिति में इसके लाइसेंस करार पर हस्ताक्षर किए गए।
इस टेक्नोलाॅजी का विकास आईआईटी रुड़की के डॉ. अनुराग कुलश्रेष्ठ, प्रोफेसर मिली पंत और प्रोफेसर वाई.एस. नेगी (सेवानिवृत्त) और अफ्लाटस ग्रेवर्स प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा के अरुण पांडे ने किया। यह टेक्नोलाजी फ्लेक्सिबल पैकेजिंग उद्योग में उपयोगी और एक सस्टेनेबल समाधान है। आईआईटी रुड़की ने इस टेक्नोलाॅजी का पेटेंट लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह टेक्नोलाॅजी शिक्षा मंत्रालय के ‘उच्चतर आविष्कार’ प्रोग्राम, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार और एफ्लाटस ग्रेव्योर प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा के वित्तपोषण से जारी एक प्रोजेक्ट के तहत विकसित की गई है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य रोटोग्राव्योर फ्लेक्सिबल पैकेजिंग प्रिंटिंग ऑपरेशन के लिए सस्टेनेबल, पर्यावरण के लिए सुरक्षित और किफायती जल-आधारित प्रिंटिंग इंक का विकास करना था। आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की टीम ने जल आधारित साॅल्यूशन का विकास किया है जो कार्बन फुटप्रिंट और वीओसी कम करने की चुनौती दूर कर प्रिंटिंग में ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम का मानक बनेगा जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण के लिए सुरक्षित समाधान मिलेंगे और यह समाज के सस्टेनेबल विकास की दिशा में बड़ा कदम होगा।

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