सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के दावे फेल

रामनगर। रामनगर संयुक्त चिकित्सालय से एक अमानवीय और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। वीरुखाल क्षेत्र में सड़क दुर्घटना में घायल 32 वर्षीय संदीप रावत की मौत के बाद उसका शव अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस तक एंबुलेंस के बजाय ई-रिक्शा में भेजा गया। इस दृश्य ने स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों को झकझोर कर रख दिया है।
जानकारी के अनुसार बीते दिन वीरुखाल में हुए सड़क हादसे में दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई जबकि संदीप रावत को गंभीर अवस्था में रामनगर अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत के बाद जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की बात आई तो अस्पताल में एंबुलेंस न होने के कारण शव को ई-रिक्शा में लादकर भेजा गया।
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह दृश्य बेहद शर्मनाक और दुखद था। एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर शवों को सम्मानजनक ढंग से ले जाने की भी व्यवस्था नहीं होना गंभीर सवाल खड़े करता है।
इस मामले पर संयुक्त चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. विनोद कुमार टम्टा ने कहा कि “मुझे इस मामले की जानकारी नहीं दी गई थी। यदि सूचना मिलती तो एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती। सीएमएस के इस बयान से अस्पताल में सूचना और प्रबंधन व्यवस्था की खामियां भी उजागर हो गई हैं। स्थानीय सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि शवों को सम्मानजनक तरीके से अंतिम प्रक्रिया तक पहुंचाना स्वास्थ्य विभाग की मूल जिम्मेदारी है। रामनगर के जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी शव के साथ ऐसा असंवेदनशील व्यवहार न हो।

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