एक सनातन शक्ति का नाम है आदिशक्ति माँ जगदम्बा भवानीः साध्वी अदिति भारती

देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान देहरादून द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत् कथा कार्यक्रम के प्रथम दिवस भावपूर्ण भजनों की प्रस्तुति देते हुए मंचासीन संगीतज्ञों ने माँ जगदम्बा भवानी की महिमा में अनेक भजनों का गायन किया। प्रथम दिवस के कार्यक्रम का उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया गया। विपुल संख्या में उपस्थित भक्तजनों के समक्ष मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पर्यावरण संरक्षण को समर्पित यह सात दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत् कार्यक्रम एक सराहनीय प्रयास है।
भजनों के उपरान्त दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सद्गुरू आशुतोष महाराज की शिष्या मानस मर्मज्ञ कथा व्यास साध्वी सअदिति भारती ने देवी भगवती माँ भवानी के विभिन्न स्वरूपों को रेखांकित करते हुए बताया कि वेद जिसे विद्या कहते हैं, योगीजन जिसे पराशक्ति कहकर अभिवंदित किया करते हैं वह माँ भगवती जो कि पार्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, काली, सरस्वती तथा अन्नपूर्णा के नामों से सम्बोधित होकर पूजी जाती हैं, यह सभी माता के गुणवाचक नाम हैं। वास्तव में माँ जगदम्बा एक दिव्य शक्ति हैं जो विभिन्न नामों से जानी जाती हैं।
साध्वी अदिति भारती जी ने आगे बताया कि समाज में हर तरफ जो आज अशांति और तनाव तथा मतभेद पनप रहे हैं इनसे मुक्ति पाने के लिए माँ जगदम्बा भवानी के तात्विक स्वरूप से जुड़ने की आवश्यकता है, माँ भवानी ही सृष्टि को प्रेम से सींच कर मार्यादाओं में बांध सकती हैं। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे एक माँ अपने शिशु को शुभ संस्कारों से पोषित किया करती हैं। कण-कण में व्याप्त माँ भवानी का अर्न्तघट में जागरण ही मानव मात्र को पूर्ण रूपेण शांत और संस्कारित कर सकता है। द्वापर के जाने और कलियुग के आगमन पर आधारित सारगर्भित दृष्टांत को सुनाते हुए उन्होंने कहा कि सृष्टि की सूक्ष्म संरचना में शिव और शक्ति की महती भूमिका है, उन्होंने ब्रह्म् के अर्धनारीश्वर स्वरूप को भी प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में नगर के अनेक गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग करते हुए अपने जीवन का कल्याण किया गया। विदित हो कि यह कार्यक्रम दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पर्यावरण संरक्षण को समर्पित है। कथा पंडाल में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित झांकियों के अलावा संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों को प्रदर्शित करती हुई प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। संस्थान का लक्ष्य विश्व शांति है और इसका दिव्य उद्घोष है- स्व जाग्रति से, विश्व शांति तक। कार्यक्रम के बीच में भी अनेक सुन्दरतम भजनों का गायन किया जाता रहा जो उपस्थित भक्तजनों को भावविभोर करता रहा।
प्रथम दिवस की कथा का महाआरती के उपरान्त प्रसाद का वितरण करते हुए समापन किया गया।