कांग्रेस ने वन्देमातरम विघटन से देश विभाजन की नींव रखने का पाप कियाः भट्ट

देहरादून। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा है कि कांग्रेस ने वन्देमातरम को छांट कर देश को बांटने का काम किया है। लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में वंदेमातरम के 150वीं वर्षगांठ पर, उसके मौलिक स्वरूप की चर्चा से गौरवमई संसदीय इतिहास का सृजन हुआ है।
राज्यसभा में वंदेमातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर हुई चर्चा में भाग लेने की चर्चा करते उन्होंने इस अवसर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार की राष्ट्रवादी नीति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सदन में कहा, हम वंदे मातरम की चर्चा कर रहे हैं, जो मात्र राष्ट्रगीत नहीं बल्कि एक महामंत्र है जिसने आजादी के संघर्ष को क्रांति ने बदला था। जिसे गुनगुनाते हुए युवाओं में हंसते हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था। स्वयं का जिक्र करते हुए कहा, मैं देवभूमि से आता हूं जो ऋषियों की तपोभूमि है, मेरी रगों में गंगा जमुना का जल बहता है, देवताओं का आशीर्वाद जहां मिलता है। मेरे पहाड़ के लोग सीढ़ीदार खेतों में पसीना बहाते हैं, सीमा पर शून्य से नीचे तापमान पर सीमा रक्षा सेवा में जीवन खपाते हैं। देश के अन्य लोगों की तरह हमारे लिए भी भारत मात्र एक जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि साक्षात धरती मां है। ऐसे में जब को सैनिक सीमा पर गोली खाता है तो उसके मुंह से अंत समय, जय हिंद और वन्देमातरम ही निकलता है। इस जीवित जागृत भावना की स्तुति का नाम है वन्देमातरम गीत। अफसोस राजनैतिक तुष्टिकरण के चलते गीत पूर्ण स्वरूप से एक बड़ी पीढ़ी को महरूम रखा गया। क्योंकि कांग्रेस के वामपंथी इतिहासकारों की किताब पढ़ेंगे तो उसमें बताया जाएगा कि सहमति से सद्भावना बनाने के लिए इसे संक्षिप्त किया गया। जबकि सच यह है कि इसे मुस्लिम लीग के दबाब में खंडित किया गया। उस छंद को हटाया गया, जिसमें मां दुर्गा को शक्ति और लक्ष्मी को समृद्धि और सरस्वती को ज्ञान के रूप में आशीर्वाद देते दर्शाया गया। इस गीत को सुनकर, अंग्रेज थर थर कांपते थे, ये भारतीय समाज को एक सूत्र में पिरोता था। लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के लिए पंडित नेहरू और कांग्रेस ने बड़े अहम बदलाव किए। उन्होंने कहा, अपनी मां की स्तुति से किसी का नुकसान कैसे हो सकता है। दरअसल मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक मांगों के आगे झुकने के लिए कांग्रेस ने ये मूल पाप किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस गीत पर ही नही बल्कि राष्ट्र की आत्मा पर कैंची चलाई गई है। गीत को छोटा कर कांग्रेस पार्टी ने दिखाया कि कैसे साम्प्रदायिक राजनीति के लिए देश की संस्कृति, संप्रभुता बताने वाली परंपराओं को कुतरा जा सकता है। कांग्रेस ऐसा कर, सिखाने की कोशिश की कि वर्ग विशेष की तुष्टि के लिए अपनी आत्मा को मौन किया जाए। किसी अलगाववादी या मुस्लिम लीग नेता ने इसके लिए कभी आभार व्यक्त किया। जबकि एक बड़े तबके ने वन्देमातरम का ही विरोध कर, देश की सांस्कृतिक पहचान मिटाने की कोशिश की। इससे उनके हौसले बुलंद हुए जिन्होंने शोर मचाकर अपनी गलत मांगों को पूरा करवाने का काम किया। कांग्रेस ने इस गीत के विघटन से देश के विभाजन की नींव रखने का पाप किया है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, पीएम मोदी के नेतृत्व में आज देश बदल चुका है। उनके प्रयासों से ही इस सदन में वंदे मातरम के पूर्ण स्वरूप की बात हम सब कर पा रहे हैं। उनके करिश्माई नेतृत्व ने कांग्रेस द्वारा बैठाई गई, 70 वर्षों की हीन भावना को जड़ से उखाड़ फेंका है। हम सबका सौभाग्य है कि देश को ऐसे प्रधानमंत्री प्राप्त हुए हैं जो भारत को सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गौरव की गर्वानुभूति कराते हुए विकास मार्ग पर आगे बढ़ा रहे हैं।

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