आत्मबल के जागरण से ही आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात होगाः साध्वी अदिति भारती

देहरादून। ब्रह्म्ज्ञान वह सनातन तकनीक है जिससे मानव के भीतर आत्मबल का जागरण होता है और यह आत्मबल ही आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात करते हुए परम शांति को स्थापित कर पाता है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का आदर्श वाक्य है मानव में क्रांति और विश्व में शांति।
सावत्री रूपी उज्जवलता तथा पवित्रता का भाव इसी ब्रह्म्ज्ञान की प्राप्ति के उपरान्त जीव जगत में विद्यमान हो पाता है। धर्म का यह आधार समाज को फिर से श्री सपन्न करने की क्षमता रखता है। कथा व्यास साध्वी सअदिति भारती जी ने अपने षष्टम दिवस के उद्बोधन में ब्रह्म्ज्ञान की सनातन महिमा को रेखांकित करते हुए उपरोक्त विचार प्रकट किए।
भजनों की अविरल प्रस्तुति देते हुए मंच पर विद्यमान संस्थान के ब्रह्म्ज्ञानी संगीतज्ञों ने अनेक सुमधुर भजनों का गायन करते हुए उपस्थित भक्तजनों को निहाल किया। विशेष रूप से माँ जगदम्बा भवानी की अभिवंदना में गाए गए गढ़वाली भजन को भक्तजनों ने बेहद पसंद किया। इसके अतिरिक्त- एैसा प्यार बहा दे मइया, चरणों से लग जाऊं मैं………, और मुझे अपना दीवाना बना दे, तेरा केड़ा मुल लगदा……., भजन भी सराहे गए।
मंच का संचालन साध्वी विदुषी रूचिका भारती जी के द्वारा किया गया।
अपने विचारों के प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास जी ने बताया कि आज का समुद्र मंथन मनुष्य के भीतर हुआ करता है, इसी मंथन के उपरान्त विश्व का स्वरूप बैकुण्ठ के सदृश्य बन पाएगा। उन्होंने दुर्वासा ऋषि के श्राप से देवराज इंद्र के श्री विहीन हो जाने और स्वर्ग से माता लक्ष्मी के अलोप हो जाने तथा समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी के प्राकट्य के साथ-साथ सावित्री और सत्यवान के विवाह की कथाओं को भी उद्धृत किया।
समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी जी के प्राकट्य की लीला का विश्लेषण करते हुए साध्वी जी ने श्रद्धालुओं के समक्ष अर्थ पुरूषार्थ में धर्म के आधार की अनिवार्यता को रेखांकित किया। समुद्र मंथन के गूढ़ संदर्भ को प्रस्तुत करते हुए कहा कि आध्यात्मिक रूप से समृद्ध व्यक्ति ही आर्थिक और सामाजिक समृद्धि को स्वतः ही प्राप्त कर लिया करता है। विश्व पटल पर इसे रखते हुए उन्होंने बताया कि संसार में भौतिक उन्नति की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए हर एक तंत्र में बिखराव का यही कारण है कि भौतिक उन्नति का आधार मात्र धन-सम्पदा और संसाधनों को बनाया गया है जबकि यह श्रेष्ठ गुणों से परिपूर्ण आधार ही इसका होना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *