धामों के नाम से नहीं बनेगा कहीं कोई मंदिरः धामी

The Chief Minister of Uttarakhand, Shri Pushkar Singh Dhami calling on the Union Minister for Defence, Shri Rajnath Singh, in New Delhi on April 05, 2022.

देहरादून। आखिरकार सरकार ने मान ही लिया कि धामों की प्रतिष्ठा और मान्यताओं को बनाए रखने के लिए उनके नाम का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज अपने रुद्रप्रयाग दौरे के समय यह कहकर कि केदारनाथ नाम से अब दिल्ली में मंदिर नहीं बनेगा, साफ कर दिया है कि धामों के नाम का गलत उपयोग हर हाल में रोका जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी द्वारा दिल्ली के बुराड़ी में खुद केदारनाथ धाम मंदिर के लिए भूमि पूजन किये जाने से यह विवाद शुरू हुआ था। केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली ने मुख्यमंत्री को बुलाकर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कराया गया था। जिस पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई थी तथा शंकराचार्यो से लेकर तीर्थ पुरोहितों व पुजारियों ने भी विरोध किया था। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इसे लेकर इतना बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया गया था कि हरिद्वार से केदारनाथ धाम तक कांग्रेसियों ने धामों की प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा शुरू की गई थी जिसे आपदा के कारण अंतिम चरण में रोकना पड़ा था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष इसे कांग्रेस का स्टंट बता कर लोगों में भ्रम फैलाने का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन आज मुख्यमंत्री धामी ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में केदारनाथ नाम से बनने वाला मंदिर नहीं बनाया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी हो चुकी है तथा इसका प्रस्ताव विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। उनका साफ कहना है कि उन्होंने दिल्ली के उस ट्रस्ट को भी बता दिया है कि केदारनाथ के नाम से मंदिर नहीं बनेगा। ट्रस्ट विरोध के बाद केदारनाथ धाम के नाम पर सिर्फ केदारनाथ के नाम से मंदिर बनाने का प्रयास कर रहा था तथा धाम शब्द हटा देने को कह रहा था लेकिन अब सीएम धामी के इस फैसले के बाद केदारनाथ ही नहीं सभी चारों धामों के नाम से कहीं भी कोई मंदिर नहीं बनाया जा सकेगा। उनका कहना है कि धाम के नाम का दुरुपयोग रोकने और धामों की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है।
देर से ही सही लेकिन दुरस्त आए, सरकार ने भले ही देर से माना लेकिन धामों की मर्यादा और महत्ता से जुड़े इस मुद्दे पर एक सही फैसला लेकर एक विवाद को शांत जरूर कर दिया है। भले ही केदारनाथ सीट के लिए होने वाले चुनाव पर पड़ने वाले असर के दबाव में यह फैसला लिया गया हो या फिर कांग्रेस के उग्र रूप के दबाव में, लेकिन सरकार ने अपनी भूल का सुधार कर लिया है।

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