लीड्स कनेक्ट ने सिग्मा पायलट अध्ययन करने के लिए बरेली को चुना

देहरादून। बरेली के टुलिया गांव में किसानों के हित में नोएडा की कृषि तकनीक कंपनी लीड्स कनेक्ट सर्विसेज ने सिग्मा अध्ययन की लॉन्चिंग की। किसानों को शुरू से अंत तक कृषि तकनीक विश्लेषण आधारित सेवाएं देने के लिए निर्बाध डिजिटल कार्यान्वयन और जमीनी निगरानी मंच (सिग्मा) परियोजना की लॉन्चिंग सांसद संतोष गंगवार ने की। कार्यक्रम में लीड्स कनेक्ट सर्विसेज के शीर्ष पदाधिकारियों की भी गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें कंपनी के निदेशक और मेंटर घनश्याम खंडेलवाल, चेयरमैन और प्रबंध निदेशक नवनीत रविकर, निदेशक ऋचा खंडेलवाल, उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख योगेश कुमार सिंह, भारत में कंपनी के क्रॉप एंड गवर्नमेंट बिजनेस प्रमुख सैयद इरशाद हैदर, मुख्य जोखिम विश्लेषक पुनीत पांडे, वरिष्ठ जोखिम विश्लेषक दीपक श्रीवास्तव, मुख्य रिमोट सेंसिंग-जीआईएस विश्लेषक व अनुसंधान और विकास प्रमुख डॉ. आलोक बी मुखर्जी और मुख्य रिमोट सेंसिंग-जीआईएस विश्लेषक नीतेश अवस्थी प्रमुख थे।
सिग्मा की लॉन्चिंग के मौके पर टुलिया और जोगिथेर गांव के किसानों को टिकाऊ खेती के तरीके अपनाने और तकनीक के हस्तक्षेप पर सलाह दी गई। उपयोग के बारे में किसानों में जागरूकता लाने के लिए कार्यक्रम में किसान ड्रोन और उर्वरकों के छिड़काव का प्रदर्शन भी किया गया।
लीड्स कनेक्ट ने कार्यक्रम के पायलट अध्ययन करने के लिए बरेली को चुना क्योंकि देश के वाणिज्यिक नोडल केंद्रों से नजदीकी तथा खुद में एक सम्पन्न शहरी समूह होने के कारण बरेली में एक प्रमुख मार्केट लिंकेज केंद्र बनने की क्षमता है। सिग्मा अध्ययन का लक्ष्य बासमती चावल, गेहूं और सरसों जैसी ज्यादा कीमत और अच्छी गुणवत्ता वाली फसलों के लिए क्षेत्रों को चिह्नित करना और उन्हें विकसित करना है। इसके अतिरिक्त खेती की टिकाऊ विधियों और तकनीक के दखल से किसानों की आय दोगुनी करना भी लक्ष्य है। यह अध्ययन चार ऋतुओं में किया जाएगा, जिसकी शुरुआत खरीफ 2022-23 (जून 2022) से होगी और अंत रबी 2023-24 (अप्रैल 2024) में होगा।
पायलट अध्ययन के लिए एक फील्ड एप और प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए बरेली के इन दो गांवों से 150 किसानों को लिया जाएगा। प्रत्येक खेत और किसान के कृषि क्रेडिट स्कोर (एसीएस) की गणना करने के बाद विशेषज्ञों की सलाह पर बीज, उर्वरकों और कीटनाशकों का वितरण किया जाएगा। अध्ययन में क्षेत्र के लिए सर्वाेत्तम फसल का निर्धारण करने के लिए तकनीक आधारित फसल उपयुक्तता विश्लेषण रिपोर्ट का भी उपयोग किया जाएगा। फसल चक्र के दौरान सीटू द्वारा रियल-टाइम निगरानी की जाएगी और यह वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी। लगातार आंकड़े इकट्ठे करने के लिए उपग्रह – आईओटी/यूएवी का उपयोग किया जाएगा। शोध से मिले परिणामों का उपयोग पूरे उत्तर प्रदेश में मॉडल्स को विकसित करने और उन्हें लागू करने में किया जाएगा।