विभागीय जांच रिपोर्ट सौंपने में ही लग गया एक माह का समय

देहरादून। उत्तराखण्ड की पुष्कर सिंह धामी सरकार का मुख्य उद्देश्य जीरो टॉलरेंस व अनुशासन है। लेकिन मुख्यमंत्री के विभाग पेयजल निगम में ही अनुशासनहीनता हो रही है। जिसमें सीनियर अधिकारी डंडांे व बैट से खुले आम सड़कों पर लड़ रहे हैं। फिर भी विभाग के अधिकारी जांच करने में महीने भर का समय लगा देते हैं और आरोपी अधिकारियों की सजा उनके मातहतों को भुगतनी पड़ी है। आरोपी अधिकारियों के साथ-साथ उनके मातहतों का भी स्थानान्तरण कर दिया जाता है। पेयजल निगम के अधीक्षण अभियन्ता प्रवीण राय, अधिशासी अभियन्ता जितेन्द्र सिंह देव ने अधिशासी अभियन्ता विशाल कुमार को गत 17 मई को जल निगम कालोनी में पीटा था। जिसमें विभागीय जांच आने में लगभग एक माह का समय लग गया जबकि जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए एक सप्ताह में जांच अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी। पीड़ित ने जांच अधिकारियों पर ही मामलें में लीपा पोती का आरोप लगाया है।
दूसरी बार मुख्यमंत्री की गद्दी संभालते ही मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को अनुशासन में रहने की हिदायत दी थी। लेकिन शायद पेयजल निगम के अधिकारियों को मुख्यमंत्री की हिदायत समझ में नहीं आई और पेयजल निगम के अधिकारी बैट व डंड़ों से सड़कों पर उतर कर आपस में लड़ रहे हैं। यह मामला सीसीटीवी में भी कैद हो गया। इस मामले में पुलिस में भी अभियोग पंजीकृत हुआ साथ ही विभागीय जांच भी की गई। जिसमें जांच अधिकारी मुख्य अभियन्ता मुख्यालय एससी पंत व प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक निर्माण सीएस रजवार को जांच रिपोर्ट सौपने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया लेकिन जांच रिपोर्ट लगभग एक माह में सौंपी गई। जबकि मौके पर हुई मारपीट की सीसीटीवी फुटेज जांच अधिकारियों को उपलब्ध करा दी गई थी। इस मामलें में पीड़ित विशाल कुमार का कहना है कि रिपोर्ट देने में जान बूझकर देरी की गई है। साथ ही उन्होंने जांच अधिकारियों पर भी आरोप लगाया है कि आरोपियों को बचाने के लिए रिपोर्ट में लीपा पोती की गई है। उन्होंने कहा कि जब सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध करा दी गई है तो क्यों रिपोर्ट देने में इतनी देरी की गई है। विशाल कुमार ने कहा कि जब सीसीटीवी फुटेज में अधीक्षण अभियन्ता प्रवीण राय, अधिशासी अभियन्ता जितेन्द्र सिंह देव मारपीट करते नजर आ रहे हैं तो उन्हें निलंबित क्यों नहीं किया गया है। अगर में गलत हूॅ तो मुझं भी निलंबित किया जाए। लेकिन आरोपी को न जाने क्यों बचाया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद स्वजल के निदेशक उदय राज का कहना है कि सभी आरोपियों को रिपोर्ट आने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विशाल के यह कहने पर कि सभी का निलंबित कर जांच की जानी चाहिए तो उदय राज का कहना है कि कार्रवाई तथ्यों के आधार पर होती है न की किसी के कहने पर होती है। उन्होंने कहा कि नोटिस का जवाब आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नोटिस के जवाब आने के बाद शासन में जो निर्णय होगा वो ही अमल में लगाया जाएगा।

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