वनाग्नि पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार से त्वरित कार्रवाई किये जाने की मांग

देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखण्ड के वनों में धधकती आग पर चिंता प्रकट करते हुए आग पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार से त्वरित कार्रवाई किये जाने की मांग की है। उपरोक्त जानकारी देते हुए प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में करन माहरा ने कहा कि लगभग एक सप्ताह से राज्य के पर्वतीय क्षेत्र के वनों में लगी भीषण आग से प्रदेश की अमूल्य वन सम्पदा के साथ-साथ वन्य पशु, वृक्ष-वनस्पतियां, जल स्रोत और यहां तक कि ग्लेशियर भी संकट में है।
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रत्येक वर्ष ग्रीष्मकाल शुरू होते ही उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र के जंगल आग से धधकने लगते हैं, परन्तु राज्य सरकार इस आपदा से निपटने के लिए समय रहते इंतजामात करने में पूरी तरह विफल रही है। प्रत्येक वर्ष इस वनाग्नि में न केवल करोड़ों रूपये की वन सम्पदा जल कर नष्ट हो जाती है, अपितु वन्य जीवों को भी भारी नुकसान पहुंचता है। आज उत्तराखण्ड के लगभग 50 प्रतिशत वनों में आग लगी हुई है परन्तु वन विभाग एवं शासन स्तर पर आग पर काबू पाने के कोई इंतजामात नहीं किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भी सर्व विदित है कि विश्व के पर्यावरणीय वातावरण में तेजी से बदलाव आ रहा है जिसका असर हिमालय के हिमखण्डों पर भी पड़ रहा है। उत्तराखण्ड राज्य 67 प्रतिशत वनों से आच्छादित है तथा हिमालय से निकलने वाली मां गंगा के साथ ही उसकी सहायक नदियों का भी पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है। परन्तु वनों मे लगने वाली इस भीषण आग से पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ रहा है।
करन माहरा ने यह भी कहा कि राज्य निर्माण से पूर्व पर्वतीय क्षेत्र के वनां में लगने वाली आग का भयावह रूप देखने को नहीं मिलता था, इसका एक स्पष्ट कारण यह था कि पर्वतीय वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की रोजी-रोटी कुछ हद तक वनों पर निर्भर करती थी तथा स्थानीय, जल, जंगल व जमीनों पर अपना अधिकार समझ कर उनकी रक्षा का दायित्व भी खुद संभालते थे, परन्तु आज वन एवं पर्यावरण विभाग के नियमों की कठोरता के चलते ऐसा नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की कि राज्य के वनों में लगी भीषण आग को गंभीरता से लेते हुए सरकारी मशीनरी को इस कार्य में जुट जाने के निर्देश दिये जाये तथा यदि संभव हो तो पर्वतीय क्षेत्रों के वनों में धधकती आग को बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर से पानी का छिड़काव करने के इंतजाम किये जांय।

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