महिला सुरक्षा के मामले में देहरादून देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में हुआ शामिल, महिला नेत्रियों ने रिपोर्ट को नकारा

देहरादून। सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल का कहना है कि मैंने उत्तराखंड की सरकारों और उनसे जुड़े नेताओं में एक अजीब प्रवृत्ति देखी है। जब किसी राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में राज्य अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उसका जोर-शोर से प्रचार किया जाता है और उसे सम्मान के रूप में पेश किया जाता है। उदाहरण के लिए, ठीक एक साल पहले जब नीति आयोग ने उत्तराखंड को एसडीजी इंडेक्स में केरल के साथ प्रथम स्थान दिया था, तब से लेकर अब तक इसे लेकर खूब बधाई और प्रचार प्रसार जारी है। अब एक नई रिपोर्ट आई है जिसको लेकर खूब हो हल्ला है। नेशनल काउंसिल फॉर वूमेन की हालिया रिपोर्ट में देश के 31 शहरी में महिला सुरक्षा को लेकर सर्वे हुआ। इस रिपोर्ट में देहरादून ने देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में स्थान पाया है। रिपोर्ट को अलग अलग मानकों का आधार पर तैयार किया गया है। चूंकि ये ताज़ा रिपोर्ट देहरादून और उत्तराखंड के संदर्भ में नकारात्मक परिणामों वाली है तो राज्य की महिला नेतृत्व ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है। कहा जा रहा है कि यह रिपोर्ट झूठी है और इस बारे में छब्ॅ की अध्यक्ष से बात भी की गई है। लेकिन एक साधारण फैक्ट चेक बताता है कि यह रिपोर्ट 28 अगस्त 2025 को दिल्ली में स्वयं छब्ॅ की अध्यक्ष श्रीमती विजया राहटकर द्वारा आधिकारिक रूप से अपने साथियों के मध्य एक सार्वजनिक कार्यक्रम में लॉन्च की गई है। मेरा मानना है कि चाहे रिपोर्ट में परिणाम अच्छे हों या बुरे, हमें उन्हें सहर्ष और सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए। जहां हम अच्छा कर रहे हैं, वहां अपनी उपलब्धियों को बरकरार रखना जरूरी है और जहां कमियां हैं, वहां सुधार के प्रयास करने चाहिए। इसके विपरीत इस तरह का रवैया, जहां खराब प्रदर्शन को पूरी तरह नकारा जाए; सुशासन, पारदर्शिता और सुधार  की दिशा में एक गलत सोच और संकेत है।

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