एआई से बदलेगा गाड़ियों का भविष्यः क्रीमकॉलर और एएसडीसी की रिपोर्ट

देहरादून/नई दिल्ली। क्रीमकॉलर नाम की एक प्रौद्योगिकी कम्पनी ने ऑटोमोबाइल कौशल विकास परिषद (एएसडीसी) के साथ मिलकर एक नई रिपोर्ट (श्वेत पत्र) जारी की है। इस रिपोर्ट का नाम है “कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और सॉफ़्टवेयर आधारित वाहन (एसडीवी) के लिए नई दक्षताएँ और प्रशिक्षण”। इसे एएसडीसी वार्षिक सम्मेलन 2025 में जारी किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले समय में गाड़ियों में। सॉफ़्टवेयर आधारित वाहन का उपयोग बहुत तेज़ी से बढ़ेगा। इसके लिए गाड़ियाँ बनाने वाले कामगारों और अभियन्ताओं को नई तकनीक सीखनी होगी। आज गाड़ियों का क्षेत्र तेज़ी से बदल रहा है और पुरानी तकनीक अब पर्याप्त नहीं है। इस रिपोर्ट में कम्पनियों, सरकार और शिक्षण संस्थानों के लिए एक पूरा मार्गदर्शन दिया गया है ताकि वे लोगों को नई शिक्षा देकर भविष्य के लिए तैयार कर सकें।
क्रीमकॉलर के प्रमुख किरण कुमार जी.जे. ने कहा, “गाड़ियाँ अब सॉफ़्टवेयर से चलने लगी हैं। यह सौ वर्षों में सबसे बड़ा परिवर्तन है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता इस परिवर्तन को और तेज़ कर रही है। यह रिपोर्ट केवल कागज़ नहीं है, बल्कि कम्पनियों और नेताओं के लिए एक मार्गदर्शिका है कि वे अपने लोगों को नई तकनीक के अनुसार कैसे तैयार करें।” इस रिपोर्ट में तीन तरह के प्रशिक्षण बताए गए हैं दृ बुनियादी, जिसमें शुरुआती जानकारी दी जाएगी; मध्यम, जो सीधे काम में प्रयुक्त होगी; और उच्च, जो भविष्य की ज़रूरतों पर ध्यान देगी। इन प्रशिक्षणों से कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों को बेहतर बना पाएँगी और भारत में ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सुरक्षा तकनीक और सॉफ़्टवेयर से जुड़े विशेषज्ञ तैयार होंगे। इससे विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटेगी और भारत अपनी खुद की तकनीक बना सकेगा। एएसडीसी के प्रमुख अरिंदम लाहिरी ने कहा,“हमारा उद्देश्य है कि सब मिलकर काम करें और भविष्य बदलें। यह रिपोर्ट पूरे उद्योग को सही दिशा में कौशल विकास करने में सहायता करेगी।”
रिपोर्ट के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सॉफ़्टवेयर आधारित वाहनों की वजह से गाड़ियाँ अब पूरी तरह सॉफ़्टवेयर पर आधारित मंच बन रही हैं। गाड़ियाँ बनाने वाली कम्पनियों और उनके सहयोगियों की प्राथमिकताएँ बदल रही हैं। अभियन्ताओं की जिम्मेदारियों में भी बड़ा परिवर्तन आ रहा है, जैसे एडीएएस अभियन्ता, प्रमाणीकरण अभियन्ता और सुरक्षा विशेषज्ञ की भूमिकाएँ अब और अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं। रिपोर्ट में कम्पनियों के लिए पाँच चरणों का मार्गदर्शन भी दिया गया है, जिसमें लक्ष्य तय करने से लेकर प्रशिक्षण और उसके प्रभाव को मापने तक के तरीके बताए गए हैं। इस अवसर पर एएसडीसी और कई बड़ी कम्पनियों के प्रमुख भी उपस्थित थे।

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