बंद हुये आदि केदारेश्वर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट

चमोली। शीतकाल के लिए भू बैकुंठ नगरी बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आज दूसरे दिन शनिवार दोपहर दो बजे आदि केदारेश्वर मंदिर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट पूरे विधि-विधान के साथ बंद कर दिये गये। 25 नवंबर को भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद कर दिये जाएंगे।
22 नवंबर दोपहर में भगवान बदरी विशाल की भोग आरती के पश्चात तप्त कुंड के समीप विराजित आदि केदारेश्वर मंदिर में मुख्य पुजारी बंदे रावल अमरनाथ नंबूदरी ने भगवान पके चावलों का भोग अन्नकूट अर्पित किया। इस वैदिक पूजन प्रक्रिया में भगवान केदारेश्वर के शिवलिंग को पके चावलों के भात से पूरा ढका गया। इस अवसर पर रावल के साथ ही धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल वेदपाठी रविंद्र भट्ट, सहित मंदिर के पुजारी आदि ने पूजा-अर्चना संपन्न की।
जिसके पश्चात भगवान आदि केदारेश्वर के शिवलिंग को निर्वाण रूप में लाकर पुष्प, भस्म आदि से ढका गया। अंत में केदारेश्वर मंदिर के पुजारी गणों ने दोपहर ठीक दो बजे आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाद बंद किए। इसके बाद ठीक सवा दो बजे अपराह्न को विधि विधान पूर्वक आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के भी कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
बता दें शुक्रवार 21 नवंबर को पंच पूजा के पहले दिन विध्न हरता भगवान श्री गणेश जी के मंदिर के कपाट बंद हो गए थे। इसी क्रम में पंचपूजा के दूसरे दिन आज आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए हैं। बीकेटीसी के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने बताया पंच पूजा के तीसरे दिन रविवार 23 नवंबर को विधि विधान से वेद पुस्तकों की पूजा-अर्चना के बाद पवित्र खड़ग -पुस्तक पूजा और वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो जाएगा।
बदरी पुरी में उत्साह का माहौल नजर आ रहा है। खुशनुमा मौसम के साथ सूर्यास्त के बाद धाम में कड़ाके की ठंड ओर शीतलहर चल रही है। बाबजूद इसके धाम में श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा विश्वास के आगे ठंड ठिठुरन और शीतलहर का प्रकोप शून्य साबित हो रहा है। श्रद्धालु तन्मयता के साथ अगाध श्रद्धा भाव लेकर भगवान बदरी विशाल जी के दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।

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