पहले भूमिहीन बन सरकार से ली जमीन अब उसको बेचकर फिर कर रहे अवैध अतिक्रमण
गोपेश्वर। जब से जोशीमठ भूधंसाव की स्थिति की गंभीरता के चलते प्रशासन का पूरा अमला जोशीमठ में उलझा हुआ है, इधर जिला मुख्यालय पर अवैध अतिक्रमणकारियों की मौज बनी हुई है। कहीं देर न हो इसके लिए तेजी के साथ कार्य चल रहा है। भवनों निर्माण के लिए सीधे पिल्लर खड़े कर छत डाल दिया जा रहा है ताकि प्रशासन तोड़ न सके। यही नहीं मुख्यालय पर यह गौरखधंधा भी तेजी से चल रहा है पहले भूमिहीन होने के नाम पर सरकार से जमीन का पट्टा लिया और अब उसे स्टांप पेपर बनाकर किसी दूसरे को बेचने की चर्चा बड़े जोरो पर चल रही है। चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर के घिंघराण मोटर मार्ग के नीचले हिस्से में जब से केंद्रीय विद्यालय के भवनों का निर्माण कार्य शुरू हुआ है तब से यहां पर अवैध अतिक्रमण के साथ ही भूमि की अवैध खरीद परोख्त का धंधा भी खूब जोरो से चल पड़ा है। सूनने में तो यहां तक आ रहा है कि यहां पर पहले कुछ लोगों ने भूमिहीन के नाते सरकार से पट्टे पर जमीन मांगी और अब उसी जमीन को किसी और को स्टांप बनाकर बेच दिया है। जबकि नियमानुसार पट्टे की जमीन को न तो बेचा जा सकता है और ना ही किसी अन्य प्रयोजन में उसे काम में लिया जा सकता है अर्थात सरकार ने जिस प्रयोजन के लिए भूमि दी है उसका उसी के लिए उपयोग में लाया जा सकता है लेकिन लोग बड़ी चालाकी से इसे बेचने में लगे है।
वहीं दूसरी ओर गोपेश्वर नगर पालिका के अंतर्गत आता है और यहां पर भवन निर्माण के लिए प्राधिकरण से अनुमति लेनी आवश्यक है लेकिन यहां पर भवनों का निर्माण भी बिना अनुमति के धडल्ले से हो रहा है जबकि इसकी जानकारी प्राधिकरण को भी परंतु प्राधिकरण भी आंखें मूंदे बैठा है। इससे सरकार को राजस्व का चूना तो लग ही रहा है साथ ही अवैध अतिक्रमणकारियों के हौसले भी बुलंद होते जा रहे है।
वहीं नंदादेवी वायोस्फिर रिजर्व के निदेशक के कार्यालय के नीचले भाग में बने रूद्रा वन में भी अतिक्रमण जारी है लेकिन मजाल है कि निदेशक कार्यालय के कर्मचारी इस अतिक्रमण को रोकने का कार्य कर रहे हो। बल्कि उल्टा विभाग के कर्मचारियों की इतनी मेहरवानी है कि अतिक्रमण कारियों को पूरी सहुलियत दी जा रही है। निदेशक के आवास से आने जाने की सुविधा के साथ भवन निर्माण की सामग्री भी इसी रास्ते से भेजी जा रही है। साथ ही भवन निर्माण को पानी के साथ सामग्री भी उपलब्ध करवायी जा रही है। अब ऐसे में अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हो रखे है।
जिस प्रकार से अवैध अतिक्रमण कर भवनों का निर्माण के लिए जमीन की खुदाई हो रही है उससे वह दिन भी दूर न होगा जब यहां के लोगों को भी जोशीमठ की भांति भूधंसाव की समस्या से जुझना पड़ सकता है। वैसे भी गोपेश्वर के नीचले भाग पठियालधार के पास जिस प्रकार से भूधंसाव के चलते कई मकानों में दरारे आ गयी है वही हाल इस तरह के अनियंत्रित कटाव से दूसरे क्षेत्र में भी न हो और यहां के वाशिदों को भी मानवजनित त्रास्दी का शिकार न होना पड़े।
