जोशीमठ आपदा को लेकर धामी सरकार त्वरित गति से कार्य कर रहीः अजेंद्र अजय
जोशीमठ। जोशीमठ आपदा को लेकर मुख्यमंत्री के विशेष प्रतिनिधि और श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि केदारनाथ आपदा के समय कई दिन तक जिला प्रशासन के अधिकारी भी आपदा पीड़ितों के बीच नहीं पहुंच सके थे। तत्कालीन सरकार अनिश्चय व असमंजस की स्थिति में रही। इसके विपरित जोशीमठ आपदा को लेकर धामी सरकार त्वरित गति से कार्य कर रही है। अजेंद्र ने कहा कि वो स्वयं केदारनाथ आपदा के पीड़ित हैं। केदारनाथ आपदा में उनका घर बार और सारी संपत्ति आपदा की भेंट चढ़ गई थी। तब सरकार की बात तो बहुत दूर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों तक को पीड़ितों के बीच में पहुंचने में समय लग गया था। आपदा पीड़ितों को सर छिपाने के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ी थी।
इसके विपरीत जोशीमठ आपदा के समय सरकार ने तेजी के साथ प्रभावितों को तात्कालिक राहत पहुंचाई है। प्रभावितों को सुरक्षा के मद्देनजर तत्काल राहत शिविरों में भेजा गया। वहां उनके उचित आवास, भोजन, चिकित्सा से लेकर ठंड से बचाव के सभी उपाय किए गए। जोशीमठ में भू धंसाव से उपजी परिस्थितियों के बाद केंद्र और राज्य सरकार की मशीनरी ने त्वरित राहत और पुनर्वास कार्यों पर काम करना शुरू कर दिया था। प्रधानमंत्री जी स्वयं जोशीमठ की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। देश की शीर्षस्थ वैज्ञानिक संस्थाएं नगर का दौरा कर स्थिति का आंकलन कर चुकी हैं। प्रदेश सरकार को उनकी रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। त्कालिक सहायता के रूप में कुछ धनराशि भी वितरित कर दी गई है। प्रभावितों के लिए स्थाई पुनर्वास की व्यवस्था हेतु उनके सुझाव लेने के साथ ही युद्धस्तर पर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। शीघ्र ही पुनर्वास की कार्ययोजना को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
जोशीमठ केवल उत्तराखंड का मामला नहीं है। यह सनातन संस्कृति से जुड़े विश्व भर के लोगों का महत्वपूर्ण स्थल है। राज्य सरकार इस बात को अच्छी तरह जानती और समझती है। राज्य सरकार शहर में राहत कार्य चलाने की सभी उपायों पर सजगता से काम कर रही है। अनायास आई इस विपदा से एक बार स्थितियां संभालने में और लोगों के जीवन की सुरक्षा करने में मशीनरी को सक्रिय करना आवश्यक था। अब पुनर्वास के मसले पर सक्षम अधिकारियों द्वारा काम किया जा रहा है। लेकिन देखने में आ रहा है कि कुछ लोग मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए जोशीमठ की भू धंसाव की घटना को ऐसे प्रचारित कर रहे हैं जैसे पूरा पहाड़ ही धंसाव के कगार पर आ गया हो। यह खतरनाक प्रवृत्ति है और हम सभी लोगों से यह अनुरोध करते हैं कि इस आपदा को इस तरह प्रचारित प्रसारित न करें जिससे देश और दुनिया में उत्तराखंड को लेकर गलत संदेश जाए।
पहले केदारनाथ आपदा और उसके बाद कोविड महामारी के प्रकोप से प्रभावित उत्तराखंड का पर्यटन और तीर्थाटन व्यवसाय फिर से गति पकड़ रहा है। विगत वर्ष की चार धाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की आमद ने लोगों में नया उत्साह जगाया है। विगत वर्ष इन्हीं दिनों औली विंटर गेम्स के आयोजन के समय जोशीमठ में एक भी होटल खाली नहीं था और इस समय यहां एक भी पर्यटक मौजूद नहीं है। सूचनाओं का यह दुष्प्रभाव आने वाले समय में हमारे लोगों के हितों को व्यापक नुकसान पहुंचा सकता है। यह उत्तराखंड की आर्थिकी के लिए एक महत्वपूर्ण पक्ष है और इस बाबत कोई भी बयान देने या सूचना प्रसारित करने से पहले पर्याप्त संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। हमारे युवाओं ने ऋण लेकर अपने व्यवसाय शुरू किए हैं। आने वाले दिनों में फिर चारधाम यात्रा शुरू होगी। जोशीमठ के एक हिस्से में भू धंसाव की समस्या पैदा हुई है। मगर उत्तराखंड से बाहर यह संदेश जा रहा है कि पूरा प्रदेश आपदा की समस्या से त्रस्त है। बाहरी प्रदेशों में ऐसा संदेश जाने से इसका प्रभाव उत्तराखंड के समग्र पर्यटन और तीर्थाटन व्यवसाय पर पढ़ना स्वाभाविक है।
